Friday, 5 February 2016

इलाहाबाद हाइकोर्ट लखनऊ बेंच लखनऊ

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आरटीआई लिखने का तरीका एवं सूचना का अधिकार (Right to Information Act)

आरटीआई लिखने का तरीका -

RTI मलतब सूचना का अधिकार - ये कानून
हमारे देश मे 2005 मे लागू हुआ| जिस का उपयोग
कर के आप सरकार और
किसी भी विभाग से
सूचना मांग सकते है आम तौर पर
लोगो को इतना ही पता होता है| परंतु आज मैं
आप को इस के बारे मे कुछ ओर रोचक
जानकारी देता हूँ -
आरटीआई से आप सरकार से कोई
भी सवाल पूछ
कर सूचना ले सकते है
आरटीआई से आप सरकार के
किसी भी दस्तावेज़
की जांच कर सकते है
आरटीआई से आप दस्तावेज़ या Document
की प्रमाणित Copy ले सकते है
आरटीआई से आप सरकारी काम काज
मे इस्तमल
सामग्री का नमूना ले सकते है
आरटीआई से आप
किसी भी कामकाज
का निरीक्षण कर सकते है
कुछ लोगो का सवाल मुझे मैसेज मे
आया कि आरटीआई मे कौन- कौन
सी धारा हमारे काम की है तो उस
का जवाब
भी मैं यहाँ लिख देता हूँ -
धारा 6 (1) - आरटीआई का application
लिखने का धारा है
धारा 6 (3) - अगर आप की application गलत
विभाग मे चली गयी है तो गलत विभाग
इस
को 6 (3) धारा के अंतर्गत सही विभाग मे 5
दिन के अंदर भेज देगा
धारा 7(5) - इस धारा के अनुसार BPL कार्ड
वालों को कोई आरटीआई शुल्क
नही देना होता
धारा 7 (6) - इस धारा के अनुसार अगर
आरटीआई का जवाब 30 दिन मे
नही आता है
तो सूचना फ्री मे दी जाएगी
धारा 18 - अगर कोई अधिकारी जवाब
नही देता तो उस की शिकायत
सूचना अधिकारी को दी जाए
धारा 8 - इस के अनुसार वो सूचना आरटीआई मे
नही दी जाएगी जो देश
की अखंडता और
सुरक्षा के लिए खतरा हो या विभाग
की आंतरिक जांच को प्रभावित करती हो
धारा 19 (1) - अगर आप
की आरटीआई
का जवाब 30 दिन मे नही आता है तो इस
धारा के अनुसार आप प्रथम अपील
अधिकारी को प्रथम अपील कर सकते
हो
धारा 19 (3) - अगर आप की प्रथम
अपील
का भी जवाब नही आता है तो आप
इस
धारा की मदद से 90 दिन के अंदर 2nd
अपील
अधिकारी को अपील कर सकते हो
अब किसी ने पूछा था कि आरटीआई
कैसे लिखे
-
इस के लिए आप एक साधा पेपर ले और उस मे1 इंच
की कोने से जगह छोड़े और नीचे दिए
गए प्रारूप मे
अपने आरटीआई लिख ले
.............................................
.............................
.............................................
.............................
सूचना का अधिकार 2005 की धारा 6(1) और
6(3) के अंतर्गत आवेदन
सेवा मे
(अधिकारी का पद)/ जन सूचना अधिकारी
विभाग का नाम
विषय - आरटीआई act 2005 के
अंतर्गत ...............
... से संबधित सूचनाए
1- अपने सवाल यहाँ लिखे
2-
3
4
मैं आवेदन फीस के रूपमें 10रूका पोस्टल
ऑर्डर ........ संख्या अलग से जमा कर रहा /
रही हूं।
या
मैं बी.पी.एल. कार्ड
धारी हूं इसलिए सभी देय
शुल्कों से मुक्त हूं। मेरा बी.पी.एल.
कार्ड
नं..............है।
यदि मांगी गई सूचना आपके विभाग/
कार्यालय से सम्बंधित
नहीं हो तो सूचना का अधिकार अधिनियम,
2005 की धारा 6 (3) का संज्ञान लेते हुए
मेरा आवेदन सम्बंधित लोक
सूचना अधिकारी को पांच दिनों के
समयाविध् के अन्तर्गत हस्तान्तरित करें। साथ
ही अधिनियम के प्रावधानों के तहत
सूचना उपलब्ध् कराते समय प्रथम अपील
अधिकारी का नाम व पता अवश्य बतायें।
भवदीय
नाम:
पता:
फोन नं:
.............................................
.............................
.............................................
.............................
ये सब लिखने के बाद अपने Sign कर दे
अब मित्रो केंद्र से सूचना मांगने के लिए आप 10
रुदेते है और एक पेपर की कॉपी मांगने
के 2 रुदेते है
और हर राज्य का आरटीआई शुल्क अगल अलग
है
जिस का पता आप कर सकते हे





सूचना का अधिकार (Right to Information Act):

 सरकारी पैसा,कामकाज और सूचना पाना जो पहले कभी ना-मुमकिन हुआ करता था आज हर आदमी के बस की बात हो चुका है.

इस अधिकार को ना केवल आम आदमी बल्कि गरीबी की रेखा के नीचे रहने वाल हर शख्स कर स्कता है और अपने हक के बारे में जानकारी और आँकड़े जुटा सकता है.

लेकिन उससे भी ज्यादा जरूरी होता है इस अधिकार को जन-साधारण त पहुँचाने और उनको उनके अधिकारों के बारे में इंगित करने की.तो आइये पहले हम खुद ही इस बारें में पता लगाते हैं कि क्या है ये सूचना का अधिकार और कैसे ये आम आदमी का अधिकार है

सूचना का अधिकार अधिनियम, 2005

सूचना का अधिकार अधिनियम (Right to Information Act) भारत के संसद द्वारा पारित एक कानून है जो 12 अक्तूबर, 2005 को लागू हुआ (15 जून, 2005 को इसके कानून बनने के 120 वें दिन)। भारत में भ्रटाचार को रोकने और समाप्त करने के लिये इसे बहुत ही प्रभावी कदम बताया जाता है। इस नियम के द्वारा भारत के सभी नागरिकों को सरकारी रेकार्डों और प्रपत्रों में दर्ज सूचना को देखने और उसे प्राप्त करने का अधिकार प्रदान किया गया है। जम्मू एवं काश्मीर को छोडकर भारत के सभी भागों में यह अधिनियम लागू है।

सूचनाऍ कहाँ से मिलेगी ? 

-केन्द्र सरकार,राज्य सरकार व स्थानीय प्रशासन के हर कार्यालय में लोक सूचना अधिकारियों को नामित किया गया है। 
-लोक सूचना अधिकारी की जिम्मेदारी है कि वह जनता को सूचना उपलब्ध कराएं एवं आवेदन लिखने में उसकी मदद करें.

कौन सी सूचनाऍ नही मिलेंगी ? 

-जो भारत की प्रभुता, अखण्डता, सुरक्षा, वैज्ञानिक या आर्थिक हितों व विदेशी संबंधों के लिए घातक हो.

-जिससे आपराधिक जाँच पड़ताल,अपराधियों की गिरफ्तारी या उन पर मुकदमा चलाने में रुकावट पैदा हो.
-जिससे किसी व्यक्ति के जीवन या शारीरिक सुरक्षा खतरे में पड
-जिससे किसी व्यक्ति के निजी जिन्दगी में दखल-अंदाजी हो और उसका जनहीत से कोई लेना देना ना हो.

स्वयं प्रकाशित की जाने वाली सूचनाऍ कौन सी है ? 

-हर सरकारी कार्यालय की यह जिम्मेदारी है कि वह अपने विभाग के विषय में निम्नलिखित सूचनाऍ जनता को स्वयं दें 

-अपने विभाग के कार्यो और कर्तव्यों का विवरण । 
-अधिकारी एवं कर्मचारियों के नाम, शक्तियाँ एवं वेतन । 
-विभाग के दस्तावेजों की सूची । 
-विभाग का बजट एवं खर्च की व्यौरा । 
-लाभार्थियों की सूची, रियायतें और परमिट लेने वालों का व्यौरा। 
-लोक सूचना अधिकारी का नाम व पता

सूचना पाने की प्रक्रिया क्या है?

-सूचना पाने के लिए सरकारी कार्यालय में नियुक्त लोक सूचना अधिकारी के पास आवेदन जमा करें । आवेदन पत्र जमा करने की पावती जरुर लें । 
-आवेदन पत्र के साथ निर्धारित फीस देना जरुरी है । 
-प्रतिलिपि/नमूना इत्यादि के रुप मे सूचना पाने के लिए निर्धारित शुल्क देना जरुरी है

सूचना देने की अवधि क्या है ? 

सूचनाऍ निर्धारित समय में प्राप्त होंगी 
-साधारण समस्या से संबंधित आवेदन 30 दिन 
-जीवन/स्वतंत्रता से संबंधित आवेदन 48 घंटे 
-तृतीय पक्ष 40 दिन 
-मानव अधिकार के हनन संबंधित आवेदन 45 दिन 

सूचना पाने के लिए आवेदन कैसे बनाऍ ?

-लोक सूचना अधिकारी, विभाग का नाम एवं पता । 
-आवेदक का नाम एवं पता । 
-चाही गई जानकारी का विषय । 
-चाही गई जानकारी की अवधि । 
-चाही गई जानकारी का सम्पू्र्ण विवरण । 
-जानकारी कैसे प्राप्त करना चाहेंगे-प्रतिलिपि /नमूना/लिखित/निरिक्षण । 
-गरीबी रेखा के नीचे आने वाले आवेदक सबूत लगाएं । 
-आवेदन शुल्क का व्यौरा-नकद, बैंक ड्राफ्ट, बैंकर्स चैक या पोस्टल ऑडर । 
-आवेदक के हस्ताक्षर, दिनांक ।

सूचना न मिलने पर क्या करे ? 
-यदि आपको समय सीमा में सूचना नहीं मिलती है, तब आप अपनी पहली अपील विभाग के अपीलीय अधिकारी को, सूचना न मिलने के 30 दिनों के अन्दर , कर सकते हैं । 
-निर्धारित समय सीमा में सूचना न मिलने पर आप राज्य या केन्द्रीय सूचना आयोग को सीधा शिकायत भी कर सकते हैं । 
-अगर आप पहली अपील से असंतुष्ट है तब आप दूसरी अपील के फैसले के 90 दिनों के अन्दर राज्य या केन्द्रीय सूचना आयोग को कर सकते हैं ।

सूचना न देने पर क्या सजा है ? 

लोक सूचना अधिकारी आवेदन लेने से इंकार करता है, सूचना देने से मना करता है या जानबुझकर गलत सूचना देता है तो उस पर प्रतिदिन रु. 250 के हिसाब से व कुल रु. 25,000 तक का जुर्माना लगाया जा सकता है 

अपील कैसे करे ? 


-अपीलीय अधिकारी, विभाग का नाम एव पता।
-लोक सूचना अधिकारी जिसके विरुद्ध अपील कर रहे हैं उसका नाम व पता । 
-आदेश का विवरण जिसके विरुद्ध अपील कर रहे हैं । 
-अपील का विषय एवं विवरण । 
-अपीलीय अधिकारी से किस तरह की मदद चाहते हैं । 
-किस आधार पर मदद चाहते हैं । 
-अपीलार्थी का नाम, हस्ताक्षर एवं पता । 
-आदेश , फीस, आवेदन से संबंधित सारे कागजात की प्रतिलिपि 

सूचना पाने के लिए निर्धारित शुल्क 

विवरण केन्द्र सरकार 


आवेदन शुल्क रु. 10/- 

अन्य शुल्क ए-4 या ए-3 के कागज के लिए रु. 2/ प्रति पेज
बड़े आकार का कागज/नमूना के लिए वास्तविक मूल्य
फ्लापी या सीडी के लिए रु. 50/-

रिकार्ड निरिक्षण का शुल्क पहला घंटा -नि.शुल्क, तत्पश्चात हर घंटे के लिए रु. 5/-

अदायगी नकद / बैंक ड्राफ्ट / बैंकर्स चैक / पोस्टल आडर्र के रुप में


नोट: गरीबी रेखा से नीचे रहने वालों को कोई शुल्क नही देना पड़ता हैं


ज्यादा जानकारी के लिये पता है और वेबसाईट भी है

केन्द्र सूचना आयोग ब्लाँक न. 4, पाँचवी मंजिल, पुराना जे.एन.यू. कैम्पस,
http://www.cic.gov.in/
नई दिल्ली-110 067, वेबसाइट:cic.gov.in , फोन/फैक्स -011-26717354

Tuesday, 30 December 2014

लोक आयुक्त कुप्रशासन, भ्रष्टाचार के विरुद्ध नि: शुल्क निदान

                        लोक आयुक्त
कुप्रशासन, भ्रष्टाचार के विरुद्ध नि: शुल्क निदान



लोक आयुक्त उत्तर प्रदेश कुप्रशासन एव लोक सेवको के विरुद्ध भ्रष्टाचार के मामले पर प्रस्तुत की जाने वाली शिकायतों को ग्रहण करके उनका निराकरण कराते हुए उत्तरदायी लोक सेवाओ के विरुद्ध कार्यवाई किये जाने हेतु सस्तुतिया शासन को प्रेषित करता हैँ  ।
क्षेत्राधिकार - शासन के समस्त विभाग, स्थानीय निकाय, विकास प्राधिकरण, सरकारी कंपनियाँ, सहायक कंपनियाँ, निगम सोसाइटियों व परिषदों से सम्बन्धित शिकायतों के मामले ।
उदाहरणार्थ- लोक सेवको के कुप्रशासन , भ्रष्टाचार एव पद के दुरुपयोग आदि से सबधित मामले तथा सेवान्रिव्रती देयो के भुगतान , मृंतक आश्रित सेवायोजन, निराश्रित एव व्रद्ध महिलाओ के पेंशन , अनुसूचित जाति एव जनजातियो के आरक्षन संबंधी मामले ।

शिकायत तथा अभिकथन कैसे करे ?

अभिकथन / शिकयात हेतु शिकायतकर्ता को निर्धारित प्रपत्र पर शिकायत टकित कराकर तीन प्रतियो मे शिकायती मामले पर नोटरी द्रारा सत्यापित शपथपत्र के साथ प्रस्तुत किया जाने का प्रावधान हे । लोकसेवकों के विरुद्ध भ्रष्टाचार की शिकायते अभिकथन रूपी शिकायते हैँ  ऐसी शिकायतो के साथ एक हजार रुपये की धनराशि जमानत के रूप मे निर्धारित शीर्षक "8443 - सिविल निक्षेप" के अंतर्गत स्टेट बैंक तथा कोषागार मे जमा करके चालान की मूल प्रति सलग्न की जानी चाहिऐ । अधिक जनिकारी हेतु संपर्क करे -
लोक आयुक्त कार्यालय उत्तर प्रदेश 
14- बी, माल एवेन्यु, लाल बहादुर शास्त्री मार्ग, लखनऊ
पो. बॉक्स स.172,जी.पी.ओ. लखनऊ, पिन कोड़ 226001
दूरभाष: 2236155,2236486
फ़ैक्स - (0522) 2236456
वेबसाइट : www.lokayukt.up.nic.in

ई - मेल : lokayukta@hotmail.com




अगर कोई रिश्वत मागे तो सीबीआई को दे जानकारी

गर सरकारी बैंक और केंद्र सरकार के उपक्रम का कोई अधिकारी अगर कोई रिश्वत मागे तो सीबीआई को दे जानकारी


भ्रष्टाचार के खिलाफ पूरे देश मे  क्रांति की धूम मची हैँ  । इस बीच सीबीआई ने भी रिश्वतखोरी के खिलाफ एक नई पहल की हैँ  । अगर कोई रिश्वत मांग रहा हैँ  तो इसकी सूचना उन्हे दे जाये ।
एस०पी० सीबीआई ने अपील की हैँ । कि अगर केंद्र सरकार सरकारी बैंक और केंद्र सरकार के उपक्रम का कोई अधिकारी उनसे किसी कार्य के एवज मे रिश्वत मांगे तो फोन और एसएमएस करे । सीबीआई ने फोन करने के लिए 0522-2201459 तथा 2622985 तथा एसएमएस के लिए 9415012635 नंबर भी दिये हैँ  । भ्रष्टाचार के खिलाफ सीबीआई कि यह मुहिम पूरे देश मे चल रही  हैँ  ।
सीबीआई के उच्चाधिकारियों के निर्देश पर सीबीआई के भ्रष्टाचार  निवारण सगठन मे एक सेल बनाया गया हैँ  , जो लोगो द्रारा फोन से मिली शिकायतों और एसएमएस का ब्यौरा तैयार करेगा ओर उस पर त्वरित कार्यवाही के लिए एस०पी० के अनुमोदन के बाद टीम भेजी जायेगी /

ग्राम सभा कि जमीन पर कब्जा किसका और कब से जायज माना जायेगा

ग्राम सभा कि जमीन पर कब्जा किसका और कब से जायज माना जायेगा

नये भू- सुधार कानून के अंन्तर्गत अब कोई भी व्यक्ति ग्राम समाज कि जमीन पर कब्जा नहीं कर सकेगा और वह कब्जे के आधार पर आसामी सीरदार या भूमिधर घोषित नहीं किया जा सकेगा । किन्तु ऐसे खेतिहर मजदूर जो ऐसी अनुसूचित जाति या जनजाति के सदस्य हे ।
उन्होने ऐसी जमीन पर जो किसी चारागाह तालाब सिंघाण्डा उगाने नदी का किनारा या जिसे राज्य सरकार द्रारा बजट किसी अन्य कार्य हेतु निर्धारित की गई हो ग्राम बागान या पब्लिक पर्पज या मिलेट्री, नहर , रेलवे किसी फार्म या टाउन एरिया द्रारा अधिकृत की गई हो , ग्राम के अलावा गाव की दीगर भूमि हैँ , एव 30 जून 1985 की तिथि तक उसका कब्जा हैँ  । तो ऐसे व्यक्ति के खिलाफ वेदखली का कोई भी कार्यवाही नहीं की जा सकेगी । ग्राम समाज की जमीन पर अवैध कब्जे के बारे मे शिकायत के लिए निम्म मो0 नंम्बर पर सम्पर्क करे - 9451309942, सुबह 10 बजे से साय 4.00 बजे 
तक सोमवार से शुक्रवार तक ।
ज़मीन बटाई या पटटे पर कौन दे सकते हैँ  ।
जिन काशतकारो को कानून मे अपनी ज़मीन को लगान (बटाई) पर उठाने की छूट दी गई हैँ  उसका विवरण इस प्रकार हैँ  ।
1 धारा 157 (1) (क) : स्त्री वह  स्त्रियाँ जो आविवाहित हो या विवाहित हो , पति के साथ रहती  हैँ   या तलाक़शुदा हो ।
2 धारा 157 (1) (ख) : नाबालिक आवस्यक इस धारा के अन्तर्गत यह प्रतिबन्ध हैँ  कि  केवल वही नाबालिक अपनी ज़मीन बटाई पर दे सकता हैँ  जिसके पिता की मृत्यु हो चुकी हैँ ।
3 धारा 157 (1) (ग) : ऐसा व्यक्ति जो पागल हो या जड़ हो ।
4 धारा 157 (1) (घ) : विकलांग अथवा अशक्त - कोई भी ऐसा व्यक्ति जो अन्धेपन या अन्य शारीरिक दुर्बलता के कारण खेती - बाड़ी करने में  असमर्थ हो ।
5 धारा 157 (1) (ड) : विधार्थी : वह सभी विधार्थी  जिनकी आयु 25 वर्ष से अधिक न हो शिक्षारत हो,पिता की मृत्यु हो चुकी  हो । 
6 धारा  157 (1) (च) : प्रतिरक्षा कर्मचारी वह व्यक्ति  जो भारतीय गणराज्य संघ   जिनकी सेना के सदास्वरूप हो जैसे - स्थल सेना , नौ सेना , वायु सेना ।
7 धारा 157 (1) (छ) : निरोधक या कारावास भोगी ऐसा व्यक्ति को केन्द्रित कारागार अधिनियम के अन्तर्गत किसी सेंट्रल जेल मे अथवा ज़िला कारागार, उपकारागार आदि मे सजा काट रहा हो ।

भूमि संबधी महत्वपूर्ण संशोधन

भूमि संबधी महत्वपूर्ण संशोधन
कृषि भूमि के वसीयतनमो के संदर्भ मे भूमिधरों के लिए भूमि को  टुकडो मे विक्रय करने संदर्भ मे बहुत ही महत्वपूर्ण संशोधन वर्तमान विधि मे कर दिए गए हैँ । जमीदारी विनाश अधिनियम की धारा 168 समप्त कर दी गयी हैँ  । इस धारा मे यह दिया हुआ था कि चक्र 3.125 एकड़ से अधिक क्षेत्रफल का हो तो उसका छोटे टुकडो मे विक्रय नहीं किया जा सकता हैँ । इसे उल्लधन मे किए गये अतरण अवैध माने जाते थे और भूमि  राज्य सरकार मे निहित हो जाती थी । बढते हुआ शहरीकरण ने इस प्रतिबन्ध को करीब - करीब नकार दिया था । 23 अगस्त 2004 से प्रभावी हुआ संशोधन ने इस प्रतिबन्ध को समाप्त कर दिया हैँ और अब कृषि भूमि के छोटे टुकडे भी बिना किसी अनुमति के विक्रय हो सकते हैँ । इस संशोधन के प्रभावी होने से पूर्व जो अन्तरण किए गए थे उनको भी इस शर्त के साथ विधिमान्य कर दिया कि संबधित व्यक्ति एक वर्ष कि अवधि के अंन्दर निर्धारित शुल्क  जमा कर दे । राज्य सरकार इस संदर्भ मे शुल्क, रीति और अवधि का निर्धारण करेगी । इस प्रकार जो विक्रय पर पुरानी धारा - 168 - क  के उल्लधन मे किए गए थे  उनको विधिमान्य करा पाना संभव हो गया हैँ , लेकिन यह छूट केवल एक वर्ष के लिए होगी । इसलिए इसका लाभ शीध् उठा लेना चाहिए ।



Tuesday, 5 August 2014

विकलांगता : प्रमाण पत्र : एक - राहत अनेक

                                                विकलांगता : प्रमाण पत्र : एक - राहत अनेक

शारीरिक रूप से अक्षम लोगो को सरकार की ओर से तमाम तरह की सहूलियते दी जाती हैँ  , लेकिन इन सहूलियतों का लाभ लेने के लिए विकलागता प्रमाण - पत्र होना अनिवार्य हैँ  । योजनाओ का लाभ उन्ही को मिलता हैँ  जिनका विकलागता का प्रतिशत 40 फीसद से ऊपर हो । केसरबाग  स्थिति रेडक्रॉस भवन मे इसका प्रमाण - पत्र बनाया जाता हैँ । प्रमाण - पत्र बनवाने की लिए जरूरी औपचारिकताए निम्नवत हैँ  :
ये कागजात साथ लाए
          पहचान प्रमाण पत्र

दो फोटोग्राफ । यदि हाथ,पैर, आख, मे  विकलागता हो तो फोटोग्राफ मे वह  स्पष्ट दिखाई दे यहा प्रमाण - पत्र के लिए नि: शुल्क आवेदन फार्म प्रदान किया जाता हैँ  / विशेषज्ञों का पैनल विकलागता के  प्रतिशत का आकलन करता हैँ  । विकलागता के प्रतिशत का पता लगाने के लिए सरकारी अस्पताल मे जाच कराई जाती हैँ   ।
         यहा  करे संपर्क

              विकलांगता : प्रमाण पत्र :  बनवाने मे किसी भी तरह की असुविधा होने पर सीएमओ कार्यालय के कंट्रोल रूम नंम्बर 0522 -2622080 पर संपर्क कर सकते हैँ  ।
नि: शुल्क हैँ  सुविधा
सीएमओ के अधीन प्रत्येक ज़िले मे विकलाग बोर्ड हैँ  । इसमे किसी भी तरह की विकलागता के लिए प्रमाण पत्र नि: शुल्क बनाए जाते हैँ  ।
दो ही दिन बनते हैँ  प्रमाण - पत्र
सप्ताह मे केवल दो दिन ही विकलाग प्रमाण- पत्र बनाए जाते हैँ  ।  इसके  लिए बुधवार और शुक्रवार का दिन मुकर्रर हैँ  । सुबह 10 बजे से प्रमाण - पत्र बनने की प्रकिया शुरू होती हैँ  ।
ये हैँ  फायदे

बस व रेल किराए मे छूट
इनकम टैक्स
नौकरी मे आरक्षण
सरकार की तरफ से पेंशन प्रदान की जाती हैँ
सरकार की आवासीय योजनाओ मे छूट प्रदान की जाती हैँ  ।
ये बनवा सकते हैँ
प्रमाण - पत्र
मानसिक रूप से कमजोर व्यक्ति
जिन्हे सुनाई न देता हो
हाथ - पैर से विकलाग
मूक - बाधिर
द्रष्टिहीन
आग से झुलसने से हुई विकलागता
विकलाग व्यक्ति विकलागता का प्रमाण - पत्र व अन्य लाभ कैसे प्राप्त करे-
1. व्यक्ति विकलागता का प्रमाण - पत्र समय - समय पर तहसील मुख्यालयो पर, सरकारी अस्पतालो मे आयोजित कैम्पो मे अधिकृत डॉक्टरो द्रारा बनवाये जा सकता हैँ  ।
2. कैम्पो के अलावा ज़िला मुख्यालय पर सप्ताह मे निर्धारित दिन को सी0एम0एच0ओ0 कार्यालय मे उपस्तिथ होकर बनवाये जा सकते हैँ   ।
3. विकलाग व्यक्ति की विकलागतानुसार डॉक्टर द्रारा विकलाग व्यक्ति को रेलवे पास जारी कर दिया जाता हैँ  । इस पास द्रारा विकलाग व्यक्ति एक सहायक साथी सहित देश के किसी भी भाग मे रेल यात्रा कर सकता हैँ , जिसमे दोनों व्यक्तियों  को रेलवे निर्धारित किराये मे 75 प्रतिशत छूट दी जाती हैँ  ।
विकलाग व्यक्ति को सहायता
1. ज़िला समाज कल्याण विभाग विकलाग व्यक्तियों को ट्राई साईकिल, सिलाई मशीन, श्रवण यन्त्र इत्यादि मुफ्त व 2000 रु0 कि आर्थिक सहायता हैँ  । इस हेतु विकलाग का डाक्टरी प्रमाण  पत्र व मूल निवास प्रमाण पत्र साथ सलग्न कर ज़िला समाज कल्याण अधिकारी के कार्यालय मे आवेदन कर सहायता प्रापत कि जा सकती हे ।
2. देश के अन्ध, मूक, वधिर विधालयो मे विकलाग बच्चों के लिए मुफ्त शिक्षा व प्रशिक्षण की व्यवस्था हैँ  । इस हेतु अपने निकटतम अन्ध्र महाविघालयो मे संपर्क करे ।
सरकार द्रारा विकलागव्यक्तियों को नई सुविधाये
विकलागो की सेवा मे विश्व विकलाग दिवस प्रत्येक मार्च के तीसरे रविवार को विश्व भर मे मनाया जाता हैँ  , जो विकलागो के लिए कार्यरत सभी लोगो को विचार- विमर्श चिन्तन व उद्देश्य के प्रति समर्पण व प्रतिबद्धता का नवीनता प्रदान करने का अवसर प्रदान करता हैँ  । विभिन्न तरह की विकलागता वाले व्यक्तियों को पुनर्वास सेवाओ को बनाने अ उपलब्ध करने मे हमारे देश मे गत वर्षो विशेषकर गत दशक के दौरान शानदार प्रगति हुई हैँ  ।

Tuesday, 29 July 2014

हिन्दू विवाह अधिनियम 1955

                                                        हिन्दू विवाह अधिनियम 1955  

हिंदुओ के बीच विवाह संबधी कानून को संशोधित और सहिताबद्ध करने हेतु जिस अधिनियम की स्थापनाकी गई, वही हिंदू विवाह अधिनियम 1955 के नाम से जाना जाता हैँ / विवाह सामाजिक जीवन का एक महत्वपूर्ण आधार हैँ । विवाह के  द्रारा जहा दो परिवारों के बीच नए संबंध विकसित होते हैँ , वही समय-समय पर उन संबधों मे परेशानिया भी पैदा होती हैँ । उन परेशानियो, बध्यताओ और दायित्वो को जो विवाह के पशचात पक्षकारो मे उत्पन्न होते हैँ , उनका विधिवत समाधान करने के उदेश्य से अधिनियम की  आवशयकता थी । यह स्पष्ट हैँ  की हिंदू विवाह अधिनियम के कुछ प्रावधान निशिचत और घोषणात्त्मक हैँ , जो धारा -5 के अनुसार हिंदू विवाह की शर्तो को कानून के दायरे मे लाते हैँ  । हिंदू विवाह अधिनियम की विशेषताओ का वर्णन अग्रलिखित हैँ :-
धारा -2 के अनुसार यह अधिनियम निम्म को हिंदू विवाह एक्ट 1955 के अन्तर्गत परिभाषित करता हैँ -
(क) वह व्यक्ति जो वीरशैव, लिगायत, ब्रांहा, प्रार्थना या आर्य समाज अनुयायियों सहित हिंदू धर्म के रूपो  या विकसो के नाते धर्म से हिंदू के रूप मे मान्य हैँ  ।
(ख) जो धार्मिक रूप से बौद्ध , जैन या सिक्ख हैँ  ।
(ग) राज्यो के वे निवासी जो धर्म के मुसलमान, ईसाई, पारसी या यहूदी नहीं हैँ ।

                                                    धर्म से हिंदू,बौद्ध, जैन या सिक्ख की स्थिति


(क) ऐसा बालक जिसके माता या पिता मे से कोई एक धर्म से हिंदू , बौद्ध, जैन या सिक्ख हो तो बालक हिंदू होगा ।
(ख) माता पिता मे से एक उपरोक्त (क) क्षेणी का हो और बालक का लालन पालन हिंदू,  बौद्ध, जैन या सिक्ख धर्म अनुसार किया गया हो ।
(ग) ऐसा व्यक्ति भी हिंदू हैँ  जिसने हिंदू , बौद्ध, जैन या सिक्ख धर्म को ग्रहण किया हैँ  या एक बार छोड़ने के पश्चात पुन ग्रहण किया हैँ ।
इसके अतिरिक्त केंन्द्रीय सरकार राजकीय गज़ट मे जिस आदिम जाति के सदस्यो को हिंदू निदिष्ट करे । जो व्यक्ति इस अधिनियम के उपबंधो के अधीन हिंदू माना गया हैँ , चाहे धर्म से वह हिंदू न हो ।


                                                 विवाह पंजीकरण अनिवार्य


जरूरत क्यो: यदि आप पति सहित विदेश जाना चाहते हैँ  तो आपको विवाह का प्रमाण पत्र देना होगा । बिना विवाह प्रमाण पत्र के आप पत्नी को विदेश मे नहीं ले जा सकते । प्रेम विवाह और सामान्य विवाह का भी पंजीकरण करवाया जा सकता हैँ  ।
कैसे होगा पजीकरण : विवाह पंजीकरण के लिए पति - पत्नी का वयस्क होना जरूरी हैँ  । विवाह करने के बाद काम एक माह से दोनों मे से एक पक्ष सबंधित ज़िले मे निवास कर रहा हो ।पाँच प्रतियो मे भरे हुआ आवेदन फॉर्म के साथ 10 रुपये के नॉन ज्युडीशियल स्टाम्प पेपर पर पति - पत्नी के अलग - अलग शपथ पत्र, विवाह के फोटो, शादी के कार्ड, आयु प्रमाण पत्र और निवास का प्रमाण पत्र प्रस्तुत करना होगा ।
संपर्क कहा करे:  इसके लिए कलेक्टर कार्यालय मे संपर्क करना होता हैँ  । अतिरिक्त ज़िला कलेक्टर (सिटी) के कार्यालय मे संपर्क किया जा सकता हैँ । विवाह पंजीकरण का फॉर्म भी वही मिल जाता हैँ  । कुछ लोग सुविधा के लिए वकीलो की मदद ले सकते हैँ । वैसे वकीलो की जरूरत नहीं हैँ  ।
कब मिलेगा प्रमाण पत्र :  आवेदन करने के 30 दिन बाद सामान्यत विवाह पंजीकरण प्रमाण पत्र जारी कर दिया जाता हैँ  । प्रमाण पत्र ल समय तीन गवाहो का होना जरूरी हैँ  । इसमे एक - एक व्यक्ति वर - वधू पक्ष का और तीसरा विवाह वाला पंडित हो तो बेहतर रहता हैँ  ।

                                          शादी रजिस्ट्रेशन व उसके लाभ 
                             
एक समय था , जब शादियो का रजिस्ट्रेशन जरूरी नहीं माना जाता था, लेकिन अब बदलते सामाजिक परिवेश मे यह जरूरी हो गया हैँ , क्योकि कई बार शादी का रजिस्ट्रेशन नहीं होने से महिला अपने अधिकारो से वंचित रह जाती हैँ  ।
                                            कैसे होता हैँ  रजिस्ट्रेशन


शादी का रजिस्ट्रेशन दो तरह से होता हैँ  - पहला स्पेशल  मैरिज एक्ट , जिसके तहट प्रेम विवाह , अंतरजातीय विवाह तथा किसी भी वर्ग से जुड़े लोग शादी का रजिस्ट्रेशन करवा सकते हैँ  । इसमे  सभी के लिए एक जैसे ही नियम होते हैँ  । दूसरे एक्ट के अंतर्गत हिन्दू, मुस्लिम, तथा ईसाई धर्म के लोगआते हैँ  ।
- हिन्दू मेरिज एक्ट के तहत अगर कोई अपनी शादी का रजिस्ट्रेशन करवाता हैँ  , तो रजिस्ट्रार तहकीकात का शादी रैजिस्टर्ड करता हैँ  ।
- स्पेशल मैरिज एक्ट के तहत लड़का -लड़की को एक फार्म भरना पडता हैँ , जिसमे लड़के एव लड़की के माता - पिता तथा जिस पंडित ने शादी करवाई हैँ   , हस्ताक्षर होना जरूरी होता हैँ , साथ ही दोनों पक्ष के गवाहो के  हस्ताक्षर  भी अनिवार्य हैँ  । इसके अलावा फार्म के कॉलम मे लिखी गई निम्न शर्त पूरी होना चाहिए, जैसे - 
- पंजीकरण करने की सूचना ।
- लड़का - लड़की दोनों के अलग - अलग शपथ पत्र ।
कितना समय लगता हैँ  - अगर शादी हो गई, तो एक हफ्ते का समय लगता हैँ । यदि नई मैरिज रैजिस्टर्ड कराना हैँ , तो फार्म जमा करने के 30 दिन बाद प्रमाण पत्र मिलता हैँ  ।
फीस - ज़्यादातर महिलाओ का सोचना होता हैँ  कि मैरिज कि रजिस्ट्री करवाने मे काफी पैसे लगते हैँ , लेकिन ऐसा नहीं हैँ । आपको इसमे सिर्फ 100 रुपये खर्च करने पड़ेगे । इसके प्रमाण पत्र हासिल करने के लिए दस रुपये का चालान, दस रुपये का पति का एफ़िडेविट, दस रुपये का पत्नी का एफ़िडेविट तथा 15-20 रुपये का नोटरी फीस लगती हैँ  । अगर आप नोटरी से रैजिस्टर्ड नहीं करवाना चाहती हे, तो तहसीलदार या ज्यूड़ीशियल ऑफिसर भी कर सकता हैँ । रजिस्ट्रेशन के लिए किसी वकील कि जरूरत नहीं पड़ती ।

                                                
                                                कार्यालय तथा अधिकारी


ज़िले का कलेक्टर मैरिज ऑफिसर होता हैँ  । लेकिन अगर कलेक्टर चाहे, तो किसी ए डी एम को यह जिम्मा सौप सकता हैँ  । शादी का रजिस्ट्रेशन कलेक्टर ऑफिस मे होता हैँ  ।
रजिस्ट्रेशन का महत्व
शादी का रजिस्ट्रेशन वैधानिक सबूत हैँ  । पासपोर्ट जैसे सरकारी दस्तावेजो के लिए इसका होना बहुत जरूरी हैँ  इसके अलावा अगर कोई महिला अपने पति के विरुद्ध भरण - पोषण का दावा करती हैँ  , लेकिन पति उसे पत्नी मानने से इन्कार कर देता हैँ  । उस स्थिति मे रजिस्ट्रेशन महिला के लिए एक आसान सबूत होगा ।
दूसरी उपयोगिता यह हैँ  कि हिंदू मैरिज एक्ट के अनुसार अगर महिला पिता कि संपाति मे हिस्सा चाहती हैँ  , लेकिन पिता महिला को अपनी पुत्री मानने से इनकार कर देता हैँ , उस स्थिति मे महिला  शादी प्रमाण -  पत्र मे पिता के हस्ताक्षर को सबूत के रूप मे पेश कर सकती हैँ  तथा अपना अधिकार हासिल कर सकती हैँ  ।
लेकिन अगर अपनी शादी का रजिस्ट्रेशन नहीं करवाया हैँ  तो इन विकट परिस्थितियो मे आप किसकी पत्नी हैँ  तथा किसकी बेटी हैँ , यह साबित करना मुश्किल हो जाता हैँ , क्योकि शादी के अगर कई वर्ष बीत गए हो , तो गवाह पेश करना भी मुश्किल हो जाता हैँ  ।


       
                                                               
             

      
 

बाल विवाह विरोध अधिनियम - 1929

                                          बाल विवाह विरोध अधिनियम - 1929 
आजादी पूर्व से ही हमारे देश मे बाल विवाह कि प्रथा रही हैँ । इस प्रथम के विरूद्ध समय - समय पर समाज सुधारको ने आवाज भी उठाई । ब्रिटिश शासन ने भी महसूस किया था कि बाल विवाह भारतवर्ष मे एक सामाजिक अपराध हैँ , और इसके विरूद्ध अधिनियम लाए जाने कि आवशयकता हैँ । यह ब्रिटिश कालीन अधिनियम हैँ ,
इसके अंतग्रत किए गए विशेष प्रावधान नियम प्रकार हैँ :-
इस अधिनियम के अनुसार लड़के कि आयु 21 वर्ष और लड़की कि आयु 18 वर्ष जानी चाहिए । यदि इससे कम आयु मे विवाह किया जाता हैँ , तो इसे दण्डनीय अपराध माना गया हैँ । यहा तक कि इस प्रकार की शादी मे शिरकत करने वाले व्यक्ति को भी तीन माह के कारावास और जुर्माना की सजा से दंडित किया जा सकता हैँ ।
यदि कोई लड़का बाल विवाह करता हैँ  जिसकी स्वयं की उम्र 18 वर्ष से ज्जादा लेकिन 21 वर्ष से कम हैँ  तो उसे 15 दिन का कारावास और जुर्माना की सजा हो सकती हैँ । इसी प्रकार यदि कोई पुरुष 21 वर्ष से अधिक उम्र का हैँ  और वह 18 वर्ष से कम आयु की लड़की से शादी करता हैँ  तो उसे तीन वर्ष की जेल एव जुर्माना की सजा दी जा सकती हैँ । हमारे देश मे जिला स्तर पर कलेक्टर को बाल विवाह रोकने के लिए इस अधिनियम के तहत अधिकार दिए गए हैँ । अवशयकता पड़ने पर प्रथम श्रेणी न्यायाधीश इस अधिनियम की शक्तियों का उपयोग करते हुए बाल विवाह रोकने के लिए स्टे जारी कर सकता हैँ । लेकिन इस अधिनियम के अनुसार बाल विवाह कानून का उल्लधन करने के लिए लड़की को सजा प्रदान नहीं की जा सकती ।

विवाह संबंधी अपराध

                                                               विवाह संबंधी अपराध

धारा 493: यदि पुरुष द्रारा उस स्त्री को , जो उससे कानून के अनुसार विवाहित नहीं हैँ , उसे छल कपट  द्रारा  यह विश्वास कराकर कि वह उससे विवाहित हैँ , उस विश्वास के साथ उससे सहवास करना दस वर्ष के कारावास और जुर्माना से दण्डनीय अपराध हैँ । इस असज्ञेय एव अजमानतीय मामले का विचरण प्रथम वर्ग मैजिस्ट्रेट द्रारा  किया जाता हैँ
धारा 494: यदि कोई पति या पत्नी के जीवन काल मे अर्थात  उनके जीवित रहते दूसरा विवाह कर लेता हैँ ,तो इस अपराध के लिए सात वर्ष के कारावास और जुर्माना के दण्ड का प्रावधान हैँ  ।  इस असज्ञेय एव जमानतीय मामले का विचरण प्रथम वर्ग मैजिस्ट्रेट कर सकता  हैँ ।
धारा 495 : यदि कोई व्यक्ति अपने पिछले विवाह को उस व्यक्ति से छिपाकर रखता  हैँ , जिसके साथ उसने बाद मे विवाह किया  हैँ , तो इस अपराध के लिए दस वर्ष के कारावास और जुर्माना का प्रावधान  हैँ । इस असज्ञेय एव जमानतीय मामले का विचारण प्रथम वर्ग मैजिस्ट्रेट कर सकता  हैँ ।
धारा 496: कपट करने के उदेश्य से विवाहित होने के कर्म को यह जानते हुए किसी व्यक्ति द्रारा पूरा किया जाना कि ऐसा लगे वह विधिपूर्वक विवाहित नहीं हुआ हैँ  अर्थात विवाहित होते हुआ अविवाहित होने का प्रदर्शन करना ऐसा अपराध हैँ , जिसके लिए साथ वर्ष के कारावास और जुर्माना के दण्ड का प्रावधान हैँ । इस असज्ञेय एव जमानतीय मामले का विचारण प्रथम वर्ग मैजिस्ट्रेट कर सकता हैँ ।
धारा 497: जारकर्म । यदि किसी विवाहित स्त्री के साथ उसकी बिना सहमति से सहवास  किया जाए और सहवास करने वाला व्यक्ति उसका पति न हो , तो वह अपराध पाच वर्ष के कारावास या जुर्माना या दोनों से दण्डनीय हैँ । इस असज्ञेय एव जमानतीय मामले का विचारण प्रथम वर्ग मैजिस्ट्रेट कर सकता हैँ ।
धारा 498 : विवाहित स्त्री को अपराध करने के उदेश्य से बहलाकर  ले जाना और उसे विधि विरूद्ध अपने पास बनाए रखने का अपराध दो वर्ष के कारावास या जुर्माना अथवा दोनों से दण्डनीय हैँ । इस असज्ञेय एव जमानतीय मामले का विचारण प्रथम वर्ग मैजिस्ट्रेट कर सकता हैँ ।

Sunday, 13 July 2014

गिरफ्तारी कैसे की जाएगी

गिरफ्तारी करने वाला शख्स , गिरफतार किए जाने वाले व्यक्ति के शरीर को स्पर्श या पकड द्रारा  मजबूर कर सकता हैँ , ताकि गिरफ्तारी संभव हो सके वचन ओर कर्म के अनुसार जब तक यह विशवास हो पाए कि  अपराधी ने स्वय को गिरफ्तारी मे समर्पित कर दिया हैँ  
   गिरफ्तारी का विरोध करने वाले व्यक्ति को गिरफतार करने के लिए उन तमाम साधनो का उपयोग किया जा सकता  हैँ , जो उसकी गिरफ्तारी के लिए कानूनी रूप से संभव हो
गिरफ्तार किए जाने वाले व्यक्ति पर म्रातुदण्ड या आजीवन कारावास का अभियोग हो तो उसकी गिरफ्तारी के लिए उसे म्रत्यु दिए जाने का अधिकार नहीं हैँ  
असाधारण परिस्थितियो मे ही स्त्री कि गिरफ्तारी सूर्यादय के पूर्व और सूर्यास्त के पश्चात कि जा सकती हैँ  
महिला पुलिस अधिकारी इस प्रकार कि असाधारण गिरफतारी लिखित रिपोर्ट करके एव न्यायिक मैजिस्ट्रेट कि अनुज्ञा से होगी
गिरफतारी वारंट से युक्त अधिक्रत पुलिस अधिकारी को उस निवास का स्वामी सभी सुविधाए देगा, जिस स्थान या निवास मे अपराधी के छिपा होने का शक हैँ  
अपराधी यदि ऐसे स्थान पर छिप जाता हैँ  जहा कानून प्रवेश वर्जित हैँ   वह स्थान या निवास अपराधी या अन्य व्यक्ति का होसकता हैँ   गिरफ्तारी वारंट से युक्त पुलिस अधिकारी ( अपराधी के अपराध के लिए गिरफ्तारी वारंट दिया जा सकता हो तब भी ) को लगता हैँ  कि वारंट  हासिल करने तक अपराधी वहा से फरार हो सकता हैँ  तो पुलिस अधिकारी अपने अधिकार और प्रयोजन कि सूचना देकर वहा प्रवेश कर सकता हैँ  

चेक बाउसिंग भी हैँ अपराध क्या हैँ यह कानून ?

1.        किसी व्यक्ति द्रारा जारी किया गया चेक अगर बाउन्स हो जाता हैँ  , तो आप कोर्ट की शरण मे जा सकते हैँ  , लेकिन इसके लिए दो बातों का ध्यान रखना  पडेगा
2.         चेक की  वेधता 6 महीने तक होती हैँ   इस दौरान आप बैंक मे कभी भी चेक जमा कर सकते हैँ   अगर इस अवधि मे आपका चेक बाउस हो जाता हैँ   तो छह महीने खत्म  होने के बाद अगले तीस दिन के अंदर आपको कानूनी नोटिस भेजना होगा अगर आप एक दिन भी देर करते हैँ  , तो चेक बाउस का मामला नहीं बन सकता
3.         चेक गिफ्ट के रूप मे जारी नहीं किया गया हो

अदालत की प्रकिया
अगर कानूनी नोटिस भेजने के 15 दिन के अंदर वह व्यक्ति रकम नहीं चुकता हैँ  , तो एक महीने के अंदर चीफ़ जुड़ीशियल मैजिस्ट्रेटके यहा 138 नेगोशिएबरल  स्टेमेंट के तहत एक शिकायत दर्ज करनी होगी शुरुआती गवाहीके बाद उस व्यक्ति के नाम  सम्मन जारी होगा और क्रिमिनल प्रोसीजर के तहत केस चलेगा अगरउस व्यक्तिकी गलतीपायी जाती हैँ  , तो उस अधिकतम तीन साल की सजा और जुर्माना हो सकता हैँ  

आरोपी के हक
 1.        छह महीने का समय बीज जाने के बाद केस करने के लिए 30 दिन का समय होता  हैँ   अगर एक दिन भी ज्यादा हो गया तो आरोपी पर केस नहीं  चल सकेगा
2.         लीगल नोटिस मिलने के 15 दिन के अंदर चेक जारी करने वाले व्यक्ति ने पैसे लौटा दिये तो ऐसे स्थिति मे भी उसके खिलाफ चेक बाउन्स का केस नहीं चलेगा